वाराणसी/उत्तर प्रदेश। श्री काशी विश्वनाथ परिसर से सटे ज्ञानवापी विवाद को लेकर चल रही अदालती लड़ाई में शुक्रवार (25 अक्टूबर) को हिंदू पक्ष को तब बड़ा झटका लगा जब वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन (फास्ट ट्रैक) कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए हिंदू पक्ष की एएसआई सर्वे की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। इस फैसले के बाद ज्ञानवापी मामले पर हिंदू पक्ष के वकील विजय शंकर रस्तोगी ने कहा है कि कोर्ट ने एएसआई द्वारा पूरे ज्ञानवापी क्षेत्र की सुरक्षा के अतिरिक्त सर्वेक्षण के हमारे आवेदन को खारिज कर दिया।
हम इस फैसले के खिलाफ शीघ्र ही हाई कोर्ट जाएंगे। बता दें कि कोर्ट में हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी के मुख्य गुंबद के नीचे शिवलिंग का दावा किया है। इसके साथ ही हिंदू पक्ष ने यहां खुदाई कराकर एएसआई सर्वे कराने की मांग की है। हिंदू पक्ष की याचिका का मुस्लिम पक्ष ने विरोध करते हुए कहा था कि खुदाई से मस्जिद स्थल को नुकसान पहुंच सकता है। इसको लेकर कोर्ट में तमाम दलीलें भी दी गई थी।
33 वर्ष पूर्व दाखिल हुई थी याचिका
ज्ञानवापी मस्जिद के मालिकाना हक हासिल करने के लिए आज से लगभग 33 वर्ष पूर्व वर्ष 1991 में हरिहर पांडेय, सोमनाथ व्यास और रामरंग शर्मा की ओर से एक याचिका कोर्ट में दाखिल हुई थी। लगभग दो दशक तक चली सुनवाई के बाद हिंदू पक्ष की ओर से वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में दो मांग रखी गई। इसमें पहली मांग यह थी कि वजूखाने का (एएसआई) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से सर्वे कराया जाए, ताकि पता लगा सके कि क्या वाकई वहां पर शिवलिंग है या फव्वारा?
हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे 100 फीट का शिवलिंग है। ऐसे में मस्जिद के ढांचे को बगैर नुकसान पहुंचाए, खुदाई की जाए, ताकि शिवलिंग के दावे का पता लग सके। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वजूखाने को सील किया गया है। अब हिंदू पक्ष की हाई कोर्ट में अपील कब होगी, आगे क्या सुनवाई होगी और इसमें आगे क्या फैसला आता है? इसको लेकर सभी की निगाहें हाई कोर्ट पर टिक गई हैं।