नई दिल्ली। आसाराम बापू को दो बहनों के साथ दुष्कर्म व शारीरिक उत्पीड़न मामले में अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। गुजरात के गांधीनगर की अदालत ने उन्हें इस मामले में सोमवार को दोषी घोषित कर दिया था।
मंगलवार को अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया , जिसमें आसाराम बापू को उम्र कैद की सजा सुनाने के साथ ही उस पर 23 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। साथ ही पीड़िता को 50 हजार रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया। दोनों बहनों ने साल 2013 में आसाराम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद सुनवाई के दौरान दोनों के ऊपर कई बार इस मुकदमे से पीछे हटने का दबाव बनाया गया था , लेकिन वह दोनों डटी रही। आखिरकार 09 साल लंबी सुनवाई के बाद उनकी लड़ाई रंग लाई और आसाराम को इस मामले में सजा सुनाई गई है।
सर्वविदित है कि 81 वर्षीय आसाराम को इससे पहले साल 2013 में भी अपने राजस्थान स्थित आश्रम में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का दोषी पाया गया था। इस मामले में भी उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। सम्बंधित मामले में आसाराम फिलहाल जोधपुर जेल में अपनी सजा काट रहा है। इस मामले के आधार पर ही गांधीनगर के मामले में अभियोजन पक्ष ने आसाराम को "आदतन अपराधी " बताते हुए आजीवन कारावास की सजा देने की मांग की थी।
गांधीनगर सेशन कोर्ट के जज डी.के. सोनी ने सोमवार को आसाराम को दोषी घोषित करते हुए मंगलवार को सजा पर सुनवाई करने की घोषणा की थी। हालांकि जज ने आसाराम की पत्नी व 06 अन्य लोगों को इस मामले में सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। इस मामले में अभियोजन पक्ष की तरफ से विशेष अभियोजक आर.सी. कोडेकर पक्ष रखे , जबकि पीड़ित बहनों की तरफ से एडवोकेट नितिन गांधी ने कोर्ट के सामने दलीलें दी थी।
रेप मामले की दोनों पीड़ित बहनें सूरत जिले की रहने वाली थी। दोनों ही आसाराम की शिष्या थी। उन्होंने साल 2013 में अहमदाबाद के चांदखेड़ा थाने में शिकायत दर्ज कराई थी , जिसमें उन्होंने साल 2001 से 2006 के बीच आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं द्वारा अपने साथ रेप करने और अवैध तरीके से मोटेरा स्थित आश्रम में बंधक बनाकर रखने का आरोप लगाया था। आसाराम और नारायण के खिलाफ दो अलग - अलग शिकायत दर्ज कराई गई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि आसाराम ने बड़ी बहन के साथ दुष्कर्म किया था , जबकि नारायण ने छोटी बहन को अपनी हवस का शिकार बनाया।