पटना/बिहार, 6 जनवरी। बिहार के वैशाली लोकसभा क्षेत्र में कार्यकर्ता सम्मेलन कर भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों का आगाज हो चुका है जबकि पूर्व अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह सात जनवरी को झारखंड के चाईबासा पहुंचने वाले हैं।
भाजपा की नजर उन कमजोर सीटों पर जिस पर भाजपा ने अब तक या तो प्रत्याशी नहीं उतारे हैं या वहां चुनाव हार गई हो।
लोकसभा चुनाव में अभी एक साल से अधिक की देरी हैं, लेकिन भाजपा ने देश भर में ऐसी 160 सीटों को चिन्हित किया है, जिसमे पार्टी खुद को कमजोर पाती है। इन सीटों में बिहार की 10 तथा झारखंड की दो सीटों की पहचान की गई है।
बिहार की बात करें तो भाजपा ने कमजोर सीटों में किशनगंज, नवादा, गया, झंझारपुर, कटिहार, मुंगेर, पूर्णिया, सुपौल, वैशाली, वाल्मीकिनगर को रखा है। बताया जाता है पार्टी भले ही 10 सीटों को चिन्हित किया है लेकिन कम से कम पार्टी की नजर 20 लोकसभा सीटों पर है।
इधर, झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में दो सीटें ऐसी हैं, जो 2019 में भाजपा हारी थी। एक संतालपरगना की राजमहल और दूसरी चाईबासा सीट है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा ने बिहार के वैशाली में कार्यकर्ता सम्मेलन में साफ तौर पर संदेश दे दिया है कि अगला लोकसभा चुनाव के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी जाए। भाजपा के नेताओं की मानें तो भाजपा पिछले चुनाव की तरह विस्तारकों को क्षेत्र में खुद के कान, नाक के तौर पर तैनाती शुरू कर दी है।
पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, हर लोकसभा क्षेत्र में सात विस्तारक तैनात किये जा चुके हैं। इनमें एक लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी है जबकि 6 विस्तारकों को उस लोकसभा के तहत आनेवाले विधानसभा क्षेत्रों का दायित्व सौंपा गया है।
विस्तारकों के साथ ही मंडल अध्यक्ष और सभी बूथों पर पन्ना प्रमुखों को सामंजस्य बैठकर कर प्रचार-प्रसार आरंभ कर है। विस्तारक पार्टी की कान, आंख बनकर काम करेंगे।
पार्टी का कहना है कि इन्हे पार्ट की विचारधारा को आगे बढ़ाना है तथा नरेंद्र मोदी सरकार की विकास योजनाओं को लोगों तक पहुंचाना और उसके साथ ही उसकी जमीनी सच्चाई फीडबैक देना है। भाजपा उन सीटों पर भी विशेष ध्यान दे रही है जहां से सहयोगी दल अब तक विजई होते रहे हैं।
भाजपा के एक नेता ने नड्डा द्वारा लोकसभा चुनाव की तैयारी का आगाज वैशाली से करने के संबंध में बताते हैं कि भाजपा इस सीट पर 1994 के बाद से चुनाव नहीं लड़ी है। इसी तरह नालंदा और जहानाबाद सीट से भाजपा 1991 के बाद प्रत्याशी नहीं उतारी है। सीतामढ़ी सीट पर भाजपा 1998 से अपने प्रत्याशी नहीं उतारी है।
भाजपा ने एक रणनीति के तहत केंद्रीय मंत्रियों को भी कलस्टर प्रभारी बना कर कार्यकतार्ओं के बीच अभी से ही उतार दिया है, जबकि लोकसभा क्षेत्रों के लिए संयोजक भी बनाकर जमीनी हकीकत जानने समझने की योजना बनाई है।