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Wednesday, 3 January 2024

इंडिया गठबंधन के सूत्रधार नीतीश के बिना संभव नहीं दलों में एका?

 

पटना/बिहार, 3 जनवरी 2024। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जिस तरीके से फिर से इंडिया गठबंधन के संयोजक बनने की चर्चा शुरू हुई है, उससे साफ है कि जदयू की राष्ट्रीय राजनीति में दबाव की रणनीति कामयाब हुई है। वैसे, नीतीश को लेकर भले ही राजद और जदयू के नेता 'इंडिया' में बैटिंग कर रहे हों, लेकिन सभी दल इसके लिए तैयार हो जाए इसकी संभावना काफी कम है।

वैसे, इंडिया गठबंधन के गठन के समय से ही बड़े दलों को बड़ा दिल दिखाने की बात होती रही है। इसे लेकर छोटे दल दबाव भी बनाते रहे हैं। इंडिया की पटना में हुई पहली बैठक में ही नीतीश के संयोजक बनाए जाने की चर्चा थी, लेकिन दिल्ली की बैठक में भी इसकी घोषणा नहीं की गई।

दिल्ली की बैठक में जिस तरह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उछाला उससे जदयू की नाराजगी की बात भी सामने आई। जदयू की नाराजगी के बाद जदयू ने दबाव की रणनीति बनाई। नीतीश ने जदयू की कमान संभाल कर बड़ा संदेश दे दिया। इससे इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल भी सकते में आ गए। अब राजद भी नीतीश के संयोजक बनाने के पक्ष में खड़ी दिख रही है।

राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा कहते हैं कि राजद चाहती है कि नीतीश कुमार इंडिया के संयोजक बनें। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने भी इस चर्चा को सुना ही है।

इधर, जदयू के नेता इस पर कुछ भी खुलकर नहीं बोल रहे हैं। पार्टी के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि कांग्रेस की तरफ से इस विषय पर कुछ नहीं सुना गया है। लेकिन हम ऐसे किसी भी कदम का स्वागत करेंगे। नीतीश कुमार को संयोजक बनाना एक अच्छा विचार है, क्योंकि उन्होंने विभिन्न रंगों और आकारों वाली पार्टियों को एक ही मंच पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसमें कोई शक नहीं कि इंडिया गठबंधन से सबसे बड़े सूत्रधार नीतीश ही रहे हैं।

कहा जा रहा है कि नीतीश की नाराजगी के बाद सभी दलों को एकजुट रखना आसान नहीं होगा। वैसे, भाजपा के सुशील मोदी कहते हैं कि इंडिया ब्लॉक में संयोजक का पद मुंशी जैसा पद है और इसे भी पाने के लिए नीतीश कुमार भाजपा के साथ जाने का डर दिखा कर सौदेबाजी कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने की सारी सम्भावनाएं समाप्त होने पर अब वे संयोजक पद के लॉलीपॉप से प्रतिष्ठा बचाना चाहते हैं।

इधर, चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का मानना है कि जदयू का राष्ट्रीय राजनीति में कोई महत्व नहीं है। उन्होंने कहा कि जदयू को कौन पूछ रहा है और ये तो अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने वाली बात है।

उन्होंने कहा कि जो विपक्ष की राजनीति है, उसमें सबसे बड़ा दल कांग्रेस है, हारे या जीते ये अलग बात है। दूसरा टीएमसी है और तीसरे नंबर पर डीएमके है। जदयू को कौन पूछ रहा है।

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