बैठक के उपरांत बाद वाम नेताओं ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि बिहार सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षक नियमावली पर शिक्षक संगठनों का विरोध है। वाम दलों का भी मानना है कि यह महागठबंधन के 2020 के घोषणा के अनुरूप नहीं है।
बैठक में कहा गया कि बिहार शिक्षक नियुक्ति नियमावली-2023 द्वारा वर्षों से कार्यरत नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने का फैसला तो स्वागत योग्य है, लेकिन इस नियमावली में राज्यकर्मी का दर्जा देने की शर्त के रूप में परीक्षा आयोजित करने की बात से बिहार के लाखों नियोजित शिक्षक आशंकित हैं। इससे यह संदेश जा रहा है कि ये शिक्षक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के योग्य नहीं थे।
नियोजित शिक्षकों ने सरकार के सभी प्रकार के कार्यों का लगातार संपादन करते हुए बिहार के शैक्षणिक व्यवस्था को सु²ढ़ करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ये शिक्षक बिहार सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित मानकों के अनुरूप बहाल हुए हैं। वाम दलों की मांग है कि सभी नियोजित शिक्षकों को महागठबंधन के 2020 के घोषणापत्र के मुताबिक बिना किसी परिक्षा के सीधे राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए और जारी गतिरोध को खत्म किया जाए।
बैठक में कहा गया कि नई शिक्षक नियमावली पर शिक्षक संगठनों और अभ्यर्थियों की आपत्तियों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को गम्भीरतापूर्वक विचार करते हुए उसका निराकरण करना चाहिए।
इस मसले पर वामपंथी दलों का एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से मिलेगा और नई शिक्षक नियमावली पर उठ रही आपत्तियों से उन्हें अवगत कराएगा।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि महागठबंधन के अन्य दलों राजद, कांग्रेस, हम और जदयू के राज्य नेतृत्व से भी बातचीत की जाएगी।