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Saturday, 29 April 2023

बिहार : सरकार के निर्णयों में राजद की बढ़ती दखलअंदाजी के मिलने लगे संकेत

पटना, 29 अप्रैल। बिहार के लगभग सभी राजनीकि दल अब अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर जोड़, घटाव में जुटे हैं। इस चुनाव में फायदे और हानि को तौलकर ही आगे की रणनीति बनाई जा रही है। वैसे, सरकार द्वारा हाल में लिए गए फैसले से इस चर्चा को बल मिला है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहयोगी पार्टी और महागठबंधन में शामिल सबसे बड़ी पार्टी राजद के दबाव में है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में जिस तरह शराबबंदी को लेकर भी बड़ा फैसला लेते हुए यह घोषणा की है कि जहरीली शराब से मरने वाले परिजनों को चार-चार रुपये दिए जाएंगे, उससे इस बात के संकेत मिलने लगे हैं कि सरकार में राजद की दखलअंदाजी बढ़ी है। यह वही नीतीश कुमार हैं, जो कई मौकों पर कह चुके हैं, कि जो पिएगा वह मरेगा। ऐसे में मरने वालों के परिजनों के लिए कोई सहानुभूति के बात ही नहीं है।

उल्लेखनीय है कि राजद जब विपक्ष में थी तो राजद के नेता तेजस्वी यादव शराब से मरने वालों के परिजनों को मुआवजे की मांग को लेकर मुखर रहे थे, ऐसे में माना जा है कि तेजस्वी के दबाव में ही सरकार द्वारा ऐसा फैसला लिया गया है।

इधर, हाल ही में सरकार ने बिहार जेल नियमावली में भी संशोधन किया है। इस संशोधन के बाद पूर्व सांसद आनंद मोहन सहित 27 कैदियों को जेल से रिहा करने के आदेश जारी कर दिए गए। भाजपा के नेताओं का आरोप है कि इन छोडे गए कैदियों में अधिकांश यादव और मुसलमान समाज से आते हैं जो राजद के वोट बैंक हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कानून में संशोधन भी राजद के दबाव में लिया गया है।

इस बीच, सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति नियमावली में भी बदलाव करते हुए बिहार लोक सेवा आयोग से शिक्षकों की बहाली करने की योजना बनाई है। नियमावली के मुताबिक ऐसे शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाएगा। इससे पहले पंचायत स्तर की नियुक्ति को लेकर राजद के नेता विरोध करते रहे हैं। शिक्षक नियुक्ति के नियमावली में हुए बदलाव का सत्ताधारी पार्टी के भी कई नेता विरोध कर रहे हैं।




वैसे, माना यह भी जा रहा है कि राजद सरकार में धीरे-धीरे दखलअंदाजी बढ़ा रही है और ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं, जिससे आने वाले चुनाव में महागठबंधन को फायदा मिल सके। प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल भाजपा हालांकि इन निर्णयों के विरोध में खड़ी है।

उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने भी कहा है कि नीतीश कुमार सत्ता में बने रहने के लिए लालू-राबड़ी परिवार के भ्रष्टाचार और एम-वाई समीकरण के अपराध के आगे घुटने टेक कर समझौता कर लिया है।

उन्होंने कहा कि जघन्य अपराध के मामलों में सजायफ्ता जिन 27 बंदियों को छोड़ा जा रहा है, उनमें 13 राजद के एम-वाई वोट बैंक वाले समुदाय से हैं। उन्होंने सवाल पूछा है कि क्या ऐसे फैसलों से प्रशासन का मनोबल नहीं तोड़ा जा रहा है ?

राजनीति के जानकार अरूण कुमार भी कहते हैं कि इसमें कोई शक नहीं नीतीश कुमार दबाव में हैं। उन्होंने कहा कि राजद मुखरता से सरकार में अपनी बात रख रही है, जिससे उसे चुनावों में लाभ मिल सके। कहा भी जाता है कि राजद पहले भी शराबबंदी को लेकर समीक्षा की बात करते रहा है, ऐसे में नीतीश कुमार मुआवजे की मांग को नकारते रहे थे।

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