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Saturday, 15 April 2023

जमुई जिला की नदियों को बचाने की पहल, चौपाल आयोजित कर की परिचर्चा

जमुई/बिहार(Jamui/Bihar), 15 अप्रैल : जमुई जिला की नदियों का अस्तित्व बचाने के उद्देश्य से बीते शुक्रवार को जमुई के पर्यावरण प्रेमियो, समाजसेवियों, युवाओं, संगठनों द्वारा सामूहिक रूप से "पर्यावरण चौपाल" का आयोजन कर परिचर्चा किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई।
उक्त कार्यक्रम में भारत सरकार से सम्मानित जल प्रहरी मनोहर मानव, आरा जिला से चलकर आए विश्व पर्यावरण संस्थान के राजेंद्र पर्यावरण, नीम पीपल अभियान के डॉ धर्मेंद्र एवं विश्व पर्यावरण परिषद नंद लाल सिंह उपस्तिथ हो कर जमुई में लगातार पर्यावरण की क्षति पर चिंता व्यक्त की।

इस अवसर पर जल प्रहरी मनोहर मानव ने कहा कि जल हमारा हवा के बाद सबसे ज्यादा प्रयोग करने वाला पदार्थ है यदि जल नहीं रहे तो हम इस सृष्टि की कामना ही नही कर सकते हैं। मजबूर होकर हमें या तो पलायन करना होगा या पानी के लिए आपस मे लड़ाई लड़ना होगा। सरकार द्वारा नदियों का दोहन के लिए जिस तरह नियम कानून बनाया गया है, उससे केवल जन जीवन को बर्बादी ही दिखती है। इसके लिए हर जन को जागरूक होना ही एक आवश्यक कदम हैं और नदियों को बचाना होगा।

पर्यावरणविद राजेंद्र पर्यावरण ने कहा कि हम पानी को स्रोत को समाप्त करने वाले पीढ़ी कहलायेंगे। यदि भविष्य में हम अपने आने वालों पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो सबसे पहले आज से ही जल को बचाना आवश्यक है। क्योकि जल से हम अपने जीवन का कामना कर सकते है।

डॉ धर्मेंद्र ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण हेतु किया जा प्रयास सरकार द्वारा ही चलाया जाता है, तो वहीं दूसरी ओर एक कानून बना के नदियों का दोहन किया जा रहा है। यदि हम जल को सुरक्षित रहेंगे तभी तो हरियाली लाने का प्रयास करेंगे।

पर्यावरण चौपाल को संबोधित करते हुए धीरज कुमार सिंह ने बताया कि जमुई में कुल मिलाकर 22 बड़ी–छोटी नदियां हैं। वर्तमान समय मे सभी सूखी हैं। जबकि पिछले साल तक इनमें लबालब पानी भरा रहता था। यह स्थिति नदियों के लगातार दोहन के कारण हुआ है। इसके प्रभाव से सैंकड़ों गांवों में गिरते जलस्तर से पानी के लिए त्राहि–त्राहि देखने को मिल रहा है।
कार्यक्रम का मंच संचालन करते हुए शैलेश कुमार ने बताया कि पर्यावरण चौपाल द्वारा आहूत बैठक में सर्वसम्मति से ग्रामीणों द्वारा निर्णय लिया गया कि पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, भूमि संरक्षण हेतु नदियों को बचाने हेतु चरणबद्ध तरीके से जनप्रतिनिधियों को पोस्टकार्ड अभियान, हस्ताक्षर अभियान, 20 अप्रैल को एक दिवसीय भूख हड़ताल और 14 मई को गरही से पतनेश्वर धाम तक पद यात्रा किया जाएगा। अगर फिर भी जल संरक्षण के लिए जन प्रतिनिधियों एवं जिला प्रशासन द्वारा नदियों को बचाने के लिए पहल नहीं की गई तो एक बड़े आंदोलन चलाया जाएगा।

इस अवसर पर नदियों को बचाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे धीरज सिंह, जमादार सिंह, कुणाल सिंह, स्नेहलता, राजीव पाण्डेय, वीरेंद्र जी ने अपने अनुभव की चर्चा की।

इस अवसर पर नदी बचाओ आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे शैलेश कुमार, सचिराज पद्माकर, शैलेश भारद्वाज, डुगडुग सिंह, कुंदन यादव, राहुल सिंह, धीरज कुमार सिंह, विवेक कुमार, गोलू कुमार, राकेश कुमार, लड्डू मिश्रा, अंकित सिन्हा, गोलू सिंह, सहित 31 ग्राम के ग्रामीण, साईकिल यात्रा एक विचार के सदस्य, एबीवीपी के सदस्य, कई सामाजिक संगठन के सदस्य, सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

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