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Thursday, 1 September 2022

एक ऐसा गांव जिसमे पैदल आई थी कस्तूरबा गांधी, 100 साल से यहां नही बढ़ी आबादी

बैतूल, आने वाली 16 अप्रेल 2022 को वह गांव उस एतिहासिक घटनाक्रम के सौ साल मनाएगा जिसके लिए उसे याद किया जाता है। कांग्रेस का अधिवेशन होने के कारण इस गांव को कांग्रेस धनोरा भी कहा जाता है लेकिन आज जब उस गांव में स्वर्गीय कस्तुरबा गांधी बा के आने के सौ साल पूरे हो जाएगें तब उस गांव के लोग अपने गांव में गौरव दिवस नहीं मना पाएगें।
गांव के गौरव दिवस न मनाए जाने के पीछे का प्रमुख कारण यह सामने आया है कि जिले से पिता - पुत्र दोनो को कांग्रेस से विधायक चुनने वाला कांग्रेस धनोरा की बाप - बेटे दोनो ने ही पुछ परख नहीं ली। अपनी ही विधानसभा के गांव में जहां कांग्रेस पार्टी का एतिहासिक अधिवेशन हुआ था उस गांव के मंदिर में ध्वजा फहराना तो दूर गांव में अभी तक विधायक या उनकी पार्टी ने गांव में गांव के गौरव के लिए 11 दिन शेष बचे है वहां एक बैठक तक नहीं ली है।

इधर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने गांव के गौरव दिवस मनाने की घोषणा तो कर दी लेकिन उस गांव की चौखट पर शासन से लेकर प्रशासन का मंत्री से लेकर संत्री तक नहीं पहुंचा। जिले के सासंद को लोकसभा में लोकहित के मुददे उठाते समय इस गांव का जिक्र तक करना अपनी शान के खिलाफ समझा क्योकि भाजपा के लोग कांग्रेस की कस्तुरबा गांधी के परिवार नियोजन के सिद्धांत पर अटल गांव का कैसे बखान करे।

कांग्रेस धनोरा का नाम, अटल धनोरा रखा जाना चाहिए
यदि इस गांव का नाम सौ साल से स्वप्रेरित परिवार नियोजन के सिद्धांत पर अटल रहने वाले गांव के रूप में अटल धनोरा रखा होता तो भाजपा की केन्द्र सरकार के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मन की बात में इस गांव का उल्लेख करते है और प्रदेश सरकार का मुखिया शिवराज सिंह चौहान इस गांव में अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में आने वाली 16 तारीख को सौ करोड का कोई एतिहासिक जश्न का आयोजन करते। इस गांव की बदहाली के पीछे कांग्रेस के अलावा कोई और जिम्मेदार नहीं है क्योकि इस गांव ने एक ही परिवार पर एक नहीं दो बार भरोसा किया और दोनो बार पिता और पुत्र ने इस गांव को उसका मान - सम्मान नहीं दिलवाया!

कमलनाथ को आना चाहिए
बैतूल जिले की बैतूल विधानासभा क्षेत्र का एक छोटा सा आज भी गांव की आबादी न बढ पाने की त्रासदी के कारण गांव तक आने वाली विकास योजनाओ से अछूता है। केन्द्र सरकार ने बापू की 150 जयंती मनाई लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ को इसा गांव की याद नहीं आई क्योकि इस गांव की याद उन्हे किसी ने नहीं दिलवाई। बैतूल जिले में कमलनाथ कीचन केबिनेट के सदस्यों में गिने जाने वाले पूर्व केबिनेट मंत्री एवं 3 बार के विधायक रहे सुखदेव पांसे की जाति के लोग इस गांव में सर्वाधिक परिवार नियोजन को अपनाने वाले है।

कुन्बी समाज बाहुल्य इस गांव के स्वर्गीय भिल्या जी धोटे वे एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होने गांव में 16 अप्रेल1922 को स्वर्गीय कस्तुरबा गांधी बा के संग उस मंच पर मंचासिन हुए जहां से बा ने नारा दिया था छोटा परिवार - सुखी परिवार , हम दो - हमारे दो पूरे देश ने आजादी के 75 साल की हिरक जयंती मनाई तब इस गांव को लगा कि इस गांव की भी सौवीं (गोल्डन जुबली) मनाई जाएगी क्योकि बीते सौ साल से यह गांव परिवार नियोजन के सिद्धांत पर अटल है।

11 दिन बाद.. 
विचित्रता से भरे भारत देश के गांवो मे एक गांव ऐसा भी था जहां पर आजादी के आन्दोलन के समय 16 अप्रेल 1922 को हरिजन उद्धार कार्यक्रम के तहत देश भर में अपनी यात्रा पर निकली राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवन संगनी श्रीमति कस्तुरबा गांधी बा ने आई थी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दुसरे तीन दिवसीय प्रांतीय अधिवेशन की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवन संगनी स्वर्गीय श्रीमति कस्तुरबा गांधी ने 1922 में पुण्य सलिला माँ सूर्यपुत्री ताप्ती के किनारे पारसडोह के समीप बसे गांव धनोरा में नारा दिया था छोटा - परिवार सुखी परिवार , उसी नारे को स्वर्गीय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री ने इमरजेंसी के समय दिया था। उनका नसबंदी का कार्यक्रम उनकी सत्ता के परिवर्तन की वजह बना लेकिन वह अपने सिद्धांत पर कायम रही।

आज शत प्रतिशत परिवार नियोजन को स्व प्रेरणा से अपनाने वाले इस गांव विकास के दावों का यहां कोई वजूद नहीं है। इस गांव के रहवासी रघु जीवने का कहना है कि हमे तो कांग्रेसी होने की सजा मिल रही है। गांव के जिस चबुतरे पर स्वर्गीय श्रीमति कस्तुरबा गांधी ने मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री स्व.पंडित रविशंकर शुक्ल,स्व. सेठ गोविंद दास जी , स्व.जमना लाल बजाज ,राष्टकवि स्व. माखन लाल चतुर्वेदी , स्व.सुभद्रा कुमारी चौहान एवं स्व.पंडित सुन्दरलाल एवं बा मौजूद थी आज वही गांव की व्यथा पर सिसक रहा है। महाकौशल अधिवेशन में हालांकि इस अधिवेशन में महात्मा गांधी को आना था लेकिन वे नहीं आ सके। देश की आजादी में इस गांव के 5 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय भिल्या जी धोटे, स्वर्गीय राधेलाल जी हरने, स्वर्गीय गेडू जी वासनकर, स्वर्गीय जयराम जी कामडे, स्वर्गीय गणपत राव जी कामडे ने भाग ।

जिस गांव में पैदल आई थी कस्तुरबा गांधी, क्या वह 11 दिन बाद मना सकेगा गौरव दिवस?
आज से ठीक 11 दिन बाद इस गांव में कांग्रेस के मध्यप्रांत के अधिवेशन एवं गांव के लोगो द्वारा परिवार नियोजन अपनाने के सौ साल पूरे हो जाएगें। पूरे देश में काग्रेस के नाम पर एक मात्र स्थापित देश -दुनिया का गांव है जिसकी उपेक्षा आज भी हो रही है। वर्ष 1922 में बैतूल से कांग्रेस धनोरा तक हजारो की संख्या में कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने के लिए उमडे जन सैलाब के संग स्वंय कस्तुरबा गांधी पैदल चल कर इस गांव तक पहुंची। जिस राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवन संगनी लेकिन देश को आजादी दिलाने वाले उस राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवन संगनी के सिद्धांत पर बीते सौ साल से अटल गांव तक जिले का कलैक्टर तो दूर आठनेर का तहसीलदार तक नहीं पहुंचा यह जानने के लिए कि 16 अप्रेल 2022 को उस गांव का गौरव दिवस कैसे मनाया जाए।

गांव टूट कर बिखर गया. लेकिन सिद्धांत से नहीं टूटे
परिवार नियोजन अपनाने का दुखद परिणाम यह निकला कि आज भी गांव टूट - टूट कर बिखर रहा है, गांव के टूटने और नए गांवो के बनने की प्रक्रिया ने गांव को अपने सिद्धांत से एक इंच भी हिला नही सकी। 1922 से आज तक गांव की आबादी दो हजार के आकड़े को पार नहीं कर सकी और उस गांव से टूट कर बने गांवो की आबादी चार गुणा बढ़ चुकी है। कांग्रेसी होने का तथा स्वर्गीय कस्तुरबा गांधी का कटट्र समर्थक रहने वाले इस अद्घितीय गांव में 97 साल से कोई आबादी का आकड़ा दो हजार से ऊपर नही गया। धनोरा मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के आठनेर तहसील में स्थित एक मध्यम आकार का गांव है जिसमें कुल 367 परिवार रहते हैं। धनोरा गांव में 1687 की आबादी है, जिनमें से 884 पुरुष हैं जबकि 803 जनसंख्या जनगणना 2011 के अनुसार महिलाएं हैं। धनोरा गांव में 0-6 वर्ष की उम्र के बच्चों की आबादी 182 है जो गांव की कुल आबादी का 10.79 प्रतिशत है। धनोरा गांव का औसत लिंग अनुपात 908 है जो मध्य प्रदेश राज्य औसत 931 से कम है। जनगणना के अनुसार धनोरा के लिए बाल लिंग अनुपात 916 है, मध्य प्रदेश की औसत 918 से कम है।

परिवार नियोजन ही नही, साक्षरता में भी नम्बर वन
मध्य प्रदेश की तुलना में धनोरा गांव में उच्च साक्षरता दर है। 2011 में, धनोरा गांव की साक्षरता दर मध्य प्रदेश के 69.32 प्रतिशत की की तुलना में 80.80 प्रतिशत थी। धनोरा में पुरुष साक्षरता 89.86 प्रतिशत है जबकि महिला साक्षरता दर 70.81 प्रतिशत थी। आज सरकारी विकास योजनाओं के लिए निर्धारित जनसंख्या लक्ष्यपूर्ति गांव के विकास के लिए बाधक बनी है जिसके पीछे की त्रासदी गांव की जनसंख्या का कम होना बताया जाता रहा है।

धनोरा से बा के जाने के सौ साल, बाद भी नहीं हो सका गांव का उद्धार
हरिजन उद्धार के लिए निकली स्वर्गीय श्रीमति कस्तूरबा गांधी के ग्राम धनोरा में आने को लगभग सौ साल होने जा रहे है। आज भी यह गांव के लोग अपनी नेत्री कस्तूरबा गांधी की सीख पर कायम है। गांव के छात्रावास के सामने बने चबुतरे पर कांग्रेस प्रांतीय सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए बा गांव के लोगो के बीच बा ने एक नारा दिया था छोटा परिवार सुखी परिवार , आज वही नारा गांव के विकास में पाचर का काम कर रहा है। हरिजन उद्घार के लिए निकली स्वर्गीय श्रीमति कस्तूरबा गांधी के ग्राम धनोरा में आने को 100 साल होने जा रहे है। इस गांव के लोग अपनी नेत्री कस्तूरबा गांधी की सीख पर कायम है।

इसी गांव के स्वर्गीय भिल्या जी धोटे उस समय इस गांव के प्रमुख कांग्रेसी कार्यकर्त्ता थे जिनके जिम्मे कांग्रेस का पूरा आन्दोलन संचालित था। स्वर्गीय धोटे की तीसरी पीढ़ी में श्रीमति कल्पना धोटे को आज भी इस बात का गर्व है कि उसके घर के सामने मैदान में कांग्रेस का वह सम्मेलन हुआ था तथा बा उनके घर आई थी। सबसे पहले भिलाजी धोटे ने परिवार नियोजन का सिद्धांत अपनाया उसके बाद उसके बेटे भदया जी धोटे तथा अब उसी परिवार की तीसरी पीढ़ी की सदस्या श्रीमति कल्पना धोटे छोटा परिवार सुखी परिवार को अपना चुकी है। 

श्रीमति कल्पना धोटे अपनी सास के समक्ष गर्व के साथ कहती है कि आज हमारा पूरा गांव कांग्रेस धनोरा के नाम से जाना जाता है जिसके पीछे सिर्फ एक ही कारण है कि मध्यप्रदेश के इस निर्मल गांव में आज भी छुआछुत का चक्कर नहीं है तथा अनपढ़ अशिक्षित गवार लोग से लेकर एम ए , एल एल बी पास लोग भी आजाद भारत के लगभग 75 साल के बाद भी छोटा परिवार सुखी परिवार के मूल सिद्धांत से रत्ती भर भी भटका नहीं है। आजाद भारत देश के इतिहास में सिर्फ सरकारी मिशनरी कागजो पर ही देश की अरबो -खरबो जनता को हम दो - हमारे दो , छोटा परिवार - सुखी परिवार का संदेश गांव -गांव तक पहँुचाने के लिए अरबो - खरबो की राशी को पानी की तरह बहा चुकी है। इतना सब करने के बाद भी कोई भी केन्द्र एवं राज्यो में शासन करने वाली किसी भी दल की सरकार ताल ठोक कर ऐसा गांव को जनता के सामने उदाहरण के लिए प्रस्तुत नहीं कर सके जो कि कांग्रेस धनोरा के समकक्ष हो।

1960 में गांव के तीन लोग पड़ौसी अमरावति, जिले से करवा चुके है हाथ नसबंदी आपरेशन
सुनने में आपको आश्चर्य लगेगा लेकिन कड़वा सच यह भी है कि भारत में नसबंदी जब आन्दोलन बना उसके पूर्व ही गांव के तीन व्यक्ति पड़ौसी राज्य महाराष्ट्र के अमरावति जिला के एक निजी चिकित्सालय में बकायदा भर्ती होकर मशीन से नहीं बल्कि हाथो से सर्जरी द्वारा की जाने वाली नसबंदी आपरेशन करवा के आ चुके है। गांव के मुख्य स्वास्थ कार्यकर्त्ता एवं प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र मे पदस्थ जगदीश पंवार कहते है कि ग्राम धनोरा वैसे तो 1922 से परिवार नियोजन के सिद्धांत पर कायम है लेकिन उस दौर में जब हाथो से नसबंदी में जाने तक चली जाती थी तब गांव के ही तीन कुंबी समाज के व्यक्तियों ने अमरावति जाकर नसबंदी करवा कर आने के बाद पूरे गांव को चौका दिया था।

 इन तीन लोगो में से एक है गांव के धर्मराज के पिता मनोहर धोटे जी जिसके सिद्धांत पर आज उसका बेटा कायम है. धर्मराम धोटे की भी एक ही बेटी है. पूरा गांव अपने आप में अतूल्य है अपने योगदान के लिए जिस नसबंदी ने कांग्रेस सरकार की नींव तक हिला दी थी. आज कांग्रेस धनोरा अपने नसबंदी कार्यक्रम को स्वप्रेरणा का रूप दे चुका है. इस गांव को पहचान दी गांव के ही लोगो ने लेकिन सर पर ताज पहन लिया स्वास्थ विभाग ने जो दावा करता है उसके द्वारा बांटे गए परिवार नियोजन के साधनो को लोग अपनाए है इसलिए इस गांव की आबादी नहीं बढ़ सकी है।

2000 का आकड़ा पार नहीं कर पाई, धनोरा गांव की रग रग में बसा परिवार नियोजन
बैतूल जिला मुख्यालय से मात्र 35 किमी दूर स्थित ग्राम कांग्रेस धनोरा के रहवासी लड़का हो या लड़की दोनो को एक समान समझते चले आ रहे हैं। पिछले 75 वर्षाे में इस गांव में कुल 712 लोगों की वृद्धि हुई है। जिला योजना एवं सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 1950 में ग्राम धनोरा की कुल आबादी 1118 थी, जो 96 साल बाद बढ़कर 1757 हो गई। वहीं आसपास के गांवों के आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्राम कांग्रेस धनोरा के पास ही बसे गांव जावरा 1950 में जो थी आज वही आबादी दोगुनी हो गई।

ग्राम जावरा की 1950 की कुल आबादी 1166 थी जो अब बढ़कर 4332 हो चुकी है। समीप बसे ग्राम के ही ऐसे हालात है। जहां 1950 में आबादी 1001 थी जो बढ़कर 5032 हो गई, जो लगभग तीन गुना है। धनोरा ग्राम के ग्रामीणों द्वारा परिवार नियोजन को अपना लेने के पीछे मानना है कि 1922 में कस्तूरबा गांधी ने ग्रामीणों को परिवार नियोजन के फायदे बताए और हमेशा परिवार नियोजन को अपनाने और उस पर अमल करने की अपील की थी। उस अपील समय से ही पूरे गांव पर बा का हुआ जबरदस्त असर आज भी देखने को मिलता है।

एक ही लड़की और उस लड़की की भी एक लड़की, परिवार नियोजन में सहभागी स्वास्थ कर्मी भी
स्वर्गीय कस्तूरबा गांधी के बाद कई नेता आए और चले गए लेकिन ग्रामीणों ने परिवार नियोजन वाली बात को गांठ बांध ली और तब से ही ग्रामीण परिवार नियोजन को अपनाते चले आ रहे। एक लड़की के बाद ही परिवार नियोजन को अपना लेने वाले गांव के जगदीश पंवार जो स्वंय स्वास्थ कर्मी है वे कहते है कि मेरी सिर्फ एक ही लड़की है तो क्या हुआ जरूर मेरी लाड़ली एक दिन यह साबित कर देगी कि लड़का और लड़की में कोई अंतर नहीं होता है। गांव के विकास के बारे में वे भी मानते है कि कई सरकारी योजनाएं गांव में कम आबादी की वजह से नहीं आ पाई है।

गांव के रहवासी बलवंत भैया कहते है कि परिवार नियोजन से परिवारों को मिलने वाले ग्रीन कार्ड भी वक्त पडऩे पर काम नहीं आते हैं ! कई बार चिकित्सालयों में ग्रीन कार्ड दिखाने पर डाक्टर इस कार्ड का कोई फायदा नहीं देते उल्टे इसे फेंक देने की सलाह देते है। ऐसे में परिवार नियोजित इस गांव को अन्य लाभ मिलना तो दूर की बात है। ग्राम कांग्रेस धनोरा में पिछले 96 वर्षाे में मात्र 600 लोगों की वृद्घि होना और इतने ही समय में आसपास के गांवों में दो गूनी- तिगूनी वृद्घि होना यह साबित करती है कि ग्राम कांग्रेस धनोरा एक आदर्श और परिवार नियोजित गांव है। अधोसंरचना और तमाम मूलभूत सुविधाओं से जूझते हुए इस गांव ने परिवार नियोजन को अपनाकर एक मिसाल तो कायम कर ली। वहीं अपने आप को विकास से कोसो दूर कर लिया।

मन की बात में शामिल नही हो पा रहा गांव, स्व प्रेरणा को सरकारी लक्ष्यपूर्ति का बहाना
केन्द्र की कहे या राज्य की भाजपा शासित सरकार को कांग्रेस या राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवन संगनी कस्तुरबा गांधी (बा) के नाम एवं काम से एलर्जी है या फिर केन्द्र एवं राज्य सरकार के अफसर नही चाहते कि कांग्रेस या श्रीमति कस्तुरबा गांधी बा का नाम एवं काम पूरी दुनिया में मिसाल - बेमिसाल बने। बैतूल जिले के क्रियाशील पत्रकार एवं माँ सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति के प्रदेश अध्यक्ष रामकिशोर पंवार ने बैतूल जिला कलैक्टर के माध्यम से जिले के एक गांव धनोरा (कांग्रेस धनोरा) का नाम परिवार नियोजन अपनाने के चलते प्रधानमंत्री मन की बात कार्यक्रम में शामिल करवाने को लेकर की गई पहल पर बैतूल जिले में पोती गई कालिख का आरटीआई आवेदन में खुलासा हुआ है।

 प्रधानमंत्री के गृहराज्य गुजरात की स्वर्गीय कस्तुरबा पत्नि राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी (बा) के बताए सिद्धांत पर चलने वाले गांव की आबादी वर्ष 2001 में इस गांव में पुरूषो की संख्या 839 तथा महिलाओं की संख्या 803 कुल जनसंख्या 1642 वही वह 2011 में पुरूषो की संख्या भी 884 तथा महिलाओ की संख्या 803 कुल जनसंख्या 1687 थी। वर्तमान में 950 पुरूष तथा 807 महिला कुल 1757 है। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की आठनेर जनपद की ग्राम पंचायत धनोरा के मूल ग्राम धनोरा ( जिसे कांग्रेस धनोरा के नाम से पुकारते है ) में कुल मकान 324 है तथा परिवारो की संख्या 371 है।

 धनोरा में कुल योग्य दपंत्ति 257 में सरकारी रिकार्ड की माने तो 184 ने स्वप्रेरित परिवार नियोजन को अपनाया है। इस गांव का नाम प्रधानमंत्री के कार्यक्रम मन की बात में शामिल करने के लिए श्री पंवार ने पीएमओ से लेकर बैतूल कलैक्टर तक से बीते 2 वर्षाे से लगातार पत्राचार किया लेकिन गांव का नाम कांग्रेस धनोरा और गांव की प्रेरक के रूप में स्वर्गीय श्रीमति कस्तुरबा गांधी का नाम आने की वजह से मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार एवं उसका सरकारी तंत्र इस गांव का नाम पीएमओ तक नही पहुंचने दिया।

पीएमओ तक दी गांव के बारे में भ्रामक जानकारी, कांग्रेसी गांव को भाजपा सरकार में न मिले पहचान
पीएमओ से लेकर कलैक्टर बैतूल तक को इस गांव के बारे में भ्रामक जानकारी दी जाते रही। आरटीआई एक्टीविस्ट एवं समाजसेवी श्री पंवार ने विभिन्न माध्यमो से प्राप्त संलग्र दस्तावेज के आधार पर जानकारी देते हुए बताया कि गांव के बारे में डाँ प्रदीप मोजेस जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने दिनांक 6 फरवरी 2016 को पत्र क्रमांक मीडिया / 2015-2016 /3235 एवं 36 / 2016 के अनुसार बैतूल कलैक्टर को जानकारी दी कि गांव धनोरा में 2 से लेकर 5 बच्चो पर आपरेशन करवाने वाले हितग्राही है इसलिए इस गांव का नाम पीएमओ की के कार्यक्रम मन की बात में शामिल किया जाना तथ्यहीन है। लेकिन रामकिशोर पंवार द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जब सभी परिवार नियोजन

एक ही लड़की और उस लड़की की भी एक लड़की, परिवार नियोजन में सहभागी स्वास्थ कर्मी भी
स्वर्गीय कस्तूरबा गांधी के बाद कई नेता आए और चले गए लेकिन ग्रामीणों ने परिवार नियोजन वाली बात को गांठ बांध ली और तब से ही ग्रामीण परिवार नियोजन को अपनाते चले आ रहे। एक लड़की के बाद ही परिवार नियोजन को अपना लेने वाले गांव के जगदीश पंवार जो स्वंय स्वास्थ कर्मी है वे कहते है कि मेरी सिर्फ एक ही लड़की है तो क्या हुआ जरूर मेरी लाड़ली एक दिन यह साबित कर देगी कि लड़का और लड़की में कोई अंतर नहीं होता है। गांव के विकास के बारे में वे भी मानते है कि कई सरकारी योजनाएं गांव में कम आबादी की वजह से नहीं आ पाई है।

गांव के रहवासी बलवंत भैया कहते है कि परिवार नियोजन से परिवारों को मिलने वाले ग्रीन कार्ड भी वक्त पडऩे पर काम नहीं आते हैं ! कई बार चिकित्सालयों में ग्रीन कार्ड दिखाने पर डाक्टर इस कार्ड का कोई फायदा नहीं देते उल्टे इसे फेंक देने की सलाह देते है। ऐसे में परिवार नियोजित इस गांव को अन्य लाभ मिलना तो दूर की बात है। ग्राम कांग्रेस धनोरा में पिछले 96 वर्षाे में मात्र 600 लोगों की वृद्घि होना और इतने ही समय में आसपास के गांवों में दो गूनी- तिगूनी वृद्घि होना यह साबित करती है कि ग्राम कांग्रेस धनोरा एक आदर्श और परिवार नियोजित गांव है। अधोसंरचना और तमाम मूलभूत सुविधाओं से जूझते हुए इस गांव ने परिवार नियोजन को अपनाकर एक मिसाल तो कायम कर ली। वहीं अपने आप को विकास से कोसो दूर कर लिया।

मन की बात में शामिल नही हो पा रहा गांव, स्व प्रेरणा को सरकारी लक्ष्यपूर्ति का बहाना
केन्द्र की कहे या राज्य की भाजपा शासित सरकार को कांग्रेस या राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जीवन संगनी कस्तुरबा गांधी (बा) के नाम एवं काम से एलर्जी है या फिर केन्द्र एवं राज्य सरकार के अफसर नही चाहते कि कांग्रेस या श्रीमति कस्तुरबा गांधी बा का नाम एवं काम पूरी दुनिया में मिसाल - बेमिसाल बने। बैतूल जिले के क्रियाशील पत्रकार एवं माँ सूर्यपुत्री ताप्ती जागृति समिति के प्रदेश अध्यक्ष रामकिशोर पंवार ने बैतूल जिला कलैक्टर के माध्यम से जिले के एक गांव धनोरा (कांग्रेस धनोरा) का नाम परिवार नियोजन अपनाने के चलते प्रधानमंत्री मन की बात कार्यक्रम में शामिल करवाने को लेकर की गई पहल पर बैतूल जिले में पोती गई कालिख का आरटीआई आवेदन में खुलासा हुआ है।

प्रधानमंत्री के गृहराज्य गुजरात की स्वर्गीय कस्तुरबा पत्नि राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी (बा) के बताए सिद्धांत पर चलने वाले गांव की आबादी वर्ष 2001 में इस गांव में पुरूषो की संख्या 839 तथा महिलाओं की संख्या 803 कुल जनसंख्या 1642 वही वह 2011 में पुरूषो की संख्या भी 884 तथा महिलाओ की संख्या 803 कुल जनसंख्या 1687 थी। वर्तमान में 950 पुरूष तथा 807 महिला कुल 1757 है। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की आठनेर जनपद की ग्राम पंचायत धनोरा के मूल ग्राम धनोरा ( जिसे कांग्रेस धनोरा के नाम से पुकारते है ) में कुल मकान 324 है तथा परिवारो की संख्या 371 है। धनोरा में कुल योग्य दपंत्ति 257 में सरकारी रिकार्ड की माने तो 184 ने स्वप्रेरित परिवार नियोजन को अपनाया है। 

 इस गांव का नाम प्रधानमंत्री के कार्यक्रम मन की बात में शामिल करने के लिए श्री पंवार ने पीएमओ से लेकर बैतूल कलैक्टर तक से बीते 2 वर्षाे से लगातार पत्राचार किया लेकिन गांव का नाम कांग्रेस धनोरा और गांव की प्रेरक के रूप में स्वर्गीय श्रीमति कस्तुरबा गांधी का नाम आने की वजह से मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार एवं उसका सरकारी तंत्र इस गांव का नाम पीएमओ तक नही पहुंचने दिया।

बैलगाडी से पहुंची बा
इस सम्मेलन के बारे में पुस्तक बैतूल जिले के का स्वंतत्रता संग्राम में लिखा है कि इस गांव में आयोजित सम्मेलन में लिखा है कि कस्तुरबा गांधी बां अपने 800 सौ से अधिक स्वंय सेवको एवं उस समय की आजादी के आन्दोलन में भाग लेने वाले कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं के संग अमरावति से बैलगाडी से धनोरा पहुंची थी।यहां पर तीन दिन तक महाकौशल कां दुसरा प्रांतिय अधिवेशन हुआ था।

आठनेर तहसील के पांच स्वतंत्रता संग्राम सेनानी इस गांव के है जिन्होने नागपुर एवं जबलपुर की जेल में रहे। इस सम्मेलन म ें मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री स्व.पंडित रविशंकर शुक्ल,स्व. सेठ गोविंद दास जी , स्व.जमना लाल बजाज ,राष्टकवि स्व. माखन लाल चतुर्वेदी , स्व.सुभद्रा कुमारी चौहान एवं स्व.पंडित सुन्दरलाल एवं सुभेन्दु पाल आए थे।

आसपास के गांवो में बढ़ा जनसंख्या का आंकड़ा, धनोरा रहा परिवार नियोजन एवं साक्षरता में अव्वल
सूचना का अधिकार कानून के तहत प्राप्त एक अन्य जानकारी के अनुसार धनोरा के आसपास के गांव जो धनोरा के विभाजन के बाद बने है उनकी जनसंख्या इस प्रकार है। माडंवी 4,728 .सातनेर 3,922 पुसली 3,057 हिडली 2,900 जावरा 2,499 बाकुड 2,242 बोथी 2,126 मेंढा छिन्दवाड़ा 2,084 टेमनी 2,067 आष्टी 1,992 गारूगुड़ रैय्यत 1,802 धनोरा 1,687 सावंगी 1,626 अम्बाड़ा 1,544 पानबेहरा 1,524 देहगुड़ 1,522 धामोरी 1,487 वडाली 1,482 ठानी 809 बीजासनी 327 गुजरमाल 791बोरपानी 730 खैरवाड़ा 1,449 बेलकुण्ड 1,437 टेमुरनी 1,410 सातकुण्ड रैय्यत 1,346 काबला रैय्यत 1,279 अक्लवाड़ी 1,274 गुणखेड़ 1,173 मानी 1,150 धामोरी 1,150 कोयलारी रैय्यत 1,133 बोरपानी 730 पनडोल 729 है।

श्री पंवार ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी को पत्र लिख कर उनसे अनुरोध किया है कि उन्हे बड़ी प्रसन्नता होगी यदि आप मेरे कहने पर या मेरे इस पत्र को अवलोकन करने के बाद यदि बिना किसी भेदभाव के इस गांव को अपने कार्यक्रम मन की बात में शामिल करते है। श्री पंवार ने बैतूल गजेटियर का उल्लेख करते हुए यह चौकान्ने वाली जानाकारी सामने लाई है जिसके अनुसार बैतूल जिले में 1958 में परिवार नियोजन एक कार्यक्रम के रूप में आया था जबकि यह गांव 1922 से ही परिवार नियोजन के सिद्धांत का पालन कर रहा है। 

 श्री पंवार ने इस संदर्भ में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी से लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को भी पत्र लिखा है जिसमें उनसे आग्रह किया है कि 1922 में कांग्रेस के प्रांतीय अधिवेशन में लिए गए संकल्प पर वचनबद्ध गांव धनोरा जिसकी पहचान कांग्रेस धनोरा के रूप में भी है उस गांव को लेकर एवं बा की प्रेरणा को पूरी दुनिया तक मिसाल के रूप में पेश करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को राष्ट्रीय स्तर पर एक कार्य योजना के साथ सामने आना चाहिए साथ ही देश के सशक्त विपक्ष के रूप में प्रधानमंत्री के समक्ष इस गांव को उनके कार्यक्रम मन की बात में शामिल करवाना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो निश्चीत तौर पर उस कांग्रेस की नींव की पत्थर कही जाने वाली गुजराती महिला स्वर्गीय कस्तुरबा गांधी बा का मान - सम्मान पूरी दुनियां में बढ़ेगा साथ ही यह गांव दुनियां में स्वप्रेरित परिवार नियोजन अपनाने वाले आदर्श गांव के रूप में पहचान बना सकेगा।

कस्तुरबा के पडपोता,तुषार गांधी ने दी शुभकामनाए
मैं तुषार गांधी आपको नमस्कार करता हूं। मुझे इस बात की जानकारी मिली कि बा इस गांव में सौ साल आई थी। 16 अप्रेल 2022 में उस वाक्यें का शताब्दी वर्ष स्वर्ण जयंती मनाने जा रहा है। मैं इस सम्मेलन की स्वर्ण जयंती पर अपनी शुभकामनाए देता हूं। मैं कस्तुरबा गांधी का पडपोता तुषार गांधी ने कस्तुरबा गांधी जी की पत्नि ही नहीं थी बल्कि देश की महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थी। मैं आपको जो भी मदद चाहिए मै देने को तैयार हूं।

रामकिशोर पंवार
पत्रकार / लेखक
बैतूल, मध्यप्रदेश

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